Vallabh Dongre
पहलो राष्ट्रीय पवारी बोली-भाषा सम्मलेन भयो ,3 फ़रवरी 19 ख़ तिरोड़ा म
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बोलता- बोलता बोली आवय,अउर खींचता -खींचता पानी
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जेना घर म आई (माय)नी, ओना घर म कई नी
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रिश्ता की पवित्रता बनी रहे तेका साठी पवार पाय पड़य
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पश्चिमी हिंदी बुंदेली की उपबोली आय पवारी,संसार को सब्सी पहलो लोकगीत पवारी म लिख्यो गयो
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तिरोड़ा,महाराष्ट्र।राजा विक्रमादित्य और राजा भोज वंशीय पवार जाति जसी दुसरी जाति नहाय। घर म केत्ती भी बेटी हो जाए पवार कभी भ्रूण हत्या नी करत। पवार बहू माँगन जाय।पवार म दूसरी जाति साई बेटी को बाप ख़ बेटा का घर दूल्हा ख़ ख़रीदन या बोली लगावण नी जानू पड़त । एक अउर विशेषता हय पवार हन की कि बूढ़ा माय- बाप ख वी वृद्धा आश्रम म नी भेजत। बाप और भाई बहिन- बेटी का पाय पड़य। बहू का पाय पड़य। मामा भांजी का पाय पड़य। समाज म या व्यवस्था रिश्ता की पवित्रता बनी रहे तेका साठी करि रहे। अउर या परम्परा पवार म आज भी बरोबर चालू हय। नारी जाति का प्रति जो सम्मान पवार हन का मन म हय उसो दूसरी जाति म देखन ख़ नी मिलत। पर आब पवार हन भी अपना रीति रिवाज़ ,अपनी परंपरा भूलत जा रह्या हय। उनख पवारी बोली बोलना म शरम आवय या हीन भावना दूर करन की जरुरत हय। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ मंजू अवस्थी डी लिट न जातीय गौरव प बात कही। 17 साल तक बालाघाट म पवारी बोली प काम करन वाली बहिन मंजू अपनो पूरो शोध कार्य पवार हन ख़ देन ख़ राजी हय। डॉ मंजू अवस्थी न यू भी कह्यो कि पवारी पश्चिमी हिंदी बुंदेली की उपबोली आय। संसार को सब्सी पहलो लोकगीत पवारी म लिख्यो गयो।
मुख्य अतिथि श्री वल्लभ डोंगरे ने अपनों उदबोधन म कह्यो कि गुजराती भाषी गाँधीजी न हिंदी ख़ राष्ट्रभाषा बनावन की सब्सि पहले पहल करी उसी च पहल पवारी बोली भाषा ख़ बचावन साथी मराठी भाषी भाई-बहिन हन न करी। उन्न आघ कह्यो कि बोलता-बोलता बोली आवय,अउर खींचता-खींचता पानी। जेना घर म आई (माय)नी,ओना घर म कई नी।अउर जेना घर म माय बोली नी ओना घर की कुई गत नी। पवार हन अपनो पुरानो गौरव जीवित ऱख ख़ आब भी महाजन होण को प्रमाण दे सकय। पवार महाजन कहलवाय। पुराण म उल्लेख मिलय कि जेना रस्ता महाजन जाय वा रस्ता धरम पथ बन जाय। या बात पवार हन को महत्त्व और मान बतावय और बढ़ावय। हमारी बोली भाषा म असा कई शब्द हय जी दूसरी बोली भाषा म नी मिलत। कणिक याने आटा। कणिक शब्द कण-कण जुड़ख़ बन्यो हय। वा बात आटा म नहाय। हीरोति याने मिर्ची को पाउडर। यू शब्द केवल पवारी बोली म मिलय। संभार ,भेदरा, उम्बी, लोम, लुहिड़ी जसा शब्द पवारी म मिलय। लोम धान की बाली ख कव्हय जा लोमकय। उम्बी गंहू की बाली ख कव्हय जा ऊभी रवहय। हमारी बोली का पुराना शब्द धीरु- धीरु विलुप्त हो रह्या हय। भुड़का ,एट ,ससनी ,खूंट ,परोता ,डोहन,नाँद ,बम्युटला ,समदूर ,छकड़ा रेंगी ,बड़ी गाड़ी ,उलार -जड़ ,जुपना,सरोता, पिराना,मुचका ,पानूड़, उसारी,छोलकरी ,टट्टा ,पड़दि , मछौंडी , पुस्टी , ठेमला , उभारनी , बक्कल ,आदि -आदि। श्री वल्लभ डोंगरे न बतायो कि अन्य संस्कृति का समान हमारी संस्कृति भी नद्दी किनारे विकसित भई। पूरा देश म पवारी संस्कृति का चिह्न येना नौ जघा मिलय –
वैनगंगा तटीय ,वर्धा तटीय ,ताप्ती तटीय ,तवा तटीय ,बेतवा तटीय ,क्षिप्रा तटीय ,नर्मदा तटीय ,सिंधु तटीय और गंगा तटीय।
शिव पार्वती मंदिर से ग्रंथ दिंडी निकाल ख़ पुस्तक प्रेम जतायो गयो। प्रारम्भ म राष्ट्रिय पवार क्षत्रिय महासभा प्रणीत राष्ट्रीय पवारी साहित्य कला संस्कृति की स्थापना और उद्देश्य प डॉ ज्ञानेश्वर टेम्भरे न प्रकाश डाल्यो। विधायक भाऊ विजय रहांगडाले न “सौ बका एक लिखा” कहयख कार्यक्रम को सार रख दियो। एना अवसर प प्रकाशित स्मारिका को लोकार्पण भी कर्यो गयो। समाज का 25 -30 छोटा बड़ा कवि -कवयित्री न पवारी म कविता पाठ कर ख़ समाज म प्रतिभा हन की कमी नहाय बता दियो। डॉ एन डी राऊत अउर श्री सी पी पटले न कवि और पाहुना हन ख़ सम्मान पत्र दे ख उनको मान बढ़ायो। श्री दिलीप कालभोर नागपुर न अपनी उपस्थिति सी कार्यक्रम ख गरिमा प्रदान करी।डॉ शेखराम येलेकर अउर श्री देवेंद्र चौधरी न साँझा रुप सी काव्य गोष्ठी को सञ्चालन कर्यो।
महाराष्ट्र को गोंदिया जिला को एक गाँव तिरोड़ा म 3 फरवरी 2019 ख़ आयोजित पहलो राष्ट्रीय पवारी बोली भाषा सम्मेलन म पवारी ढंढार भी भई। श्री सुभाष तुलसीता नागपुर न पर्णकलाकृति अउर श्री वाय के न काष्ठ कला प्रदर्शनी लगाई हती। ऐना अवसर पर पीएचडी की त्रिदेवी डॉ शोभा बिसेन ,डॉ अलका ,डॉ शारदा कौशिक को भी सत्कार कर्यो। बहिन विद्या बिसेन न अपनी बोली म अपनी वाद्य टीम का संग प्रस्तुति दी।
प्रणेता डॉ ज्ञानेश्वर टेम्भरेजी न हर साल आयोजन अलग अलग जघा प करन की घोषणा करी अउर हर तीन महीना म एक बार पवारी काव्य गोष्ठी करन की अपील करि। कार्यक्रम को संचालन श्री देवेंद्र भाऊ चौधरी न कर्यो। समाज को भामाशाह श्री राधेलाल जी पटले न आयोजन म पधार्या सारा पाहुना हन की भोजन चाय पानी की व्यवस्था कर ख़ एक चांगलो काम कर्यो। श्री मुरलीधरजी टेम्भरे ,डॉ ज्ञानेश्वर टेम्भरे ,श्री लखनसिंह कटरे ,श्री देवेंद्र चौधरी की मेहनत और प्रयास को परिणाम स्वरुप समाज को पहलो राष्ट्रीय पवारी बोली भाषा सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न भयो। कार्यक्रम म मुख्य रूप सी श्री नरेश गौतम ठाकरेजी श्री चोपडे जी नागपुर श्री दिलीप कालभोर ,श्री मोतीलाल चौधरी ,श्री जयपाल पटलेजी , श्री युवराज हिंगवे ,श्री रामराव कौशिक सुश्री अलका चौधरी ,सुश्री डॉ उषा बिसेन डॉ शेखराम येलेकर आदि उपस्थित हता।
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