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निःशुल्क आयुर्वेदिक उपचार शिविर

निःशुल्क आयुर्वेदिक उपचार समिति के तत्वाधान में कल दिनांक 17/11 2019 दिन रविवार को निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन पवार मंगल भवन में किया जा रहा है

आप सभी बंधु बंधुओं से निवेदन है कि उक्त शिविर का ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित होकर लाभ उठाएं और शिविर की जानकारी सभी लोगों को देने का कष्ट करें इस शिविर में डॉक्टर सावित्री गौरव पवार डॉक्टर दीपिका रोशनी पवार दंत चिकित्सक डॉक्टर सोनू साहू एवं रितु साहू एवं फिजियोथैरेपिस्ट अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे विशेष शिविर दंत चिकित्सा एवं अस्थि रोग विशेषज्ञ आयोजित किया गया आप सभी इससे ज्यादा फायदा उठाएं…!!

Address : PAWAR MANGAL BHAVAN, Railway Patri ke Paas – Bagdona

क्षत्रिय पवार समाज के सभी विवाह योग्य युवक युवतियों जानकारी :Register Here

राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार

“राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार ” हेतु आवेदन प्रपत्र का प्रारुप
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वर्ष -2020
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प्रति ,

“राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार”

आयोजन समिति, सुखवाड़ा , प्लॉट न 24 ,

एफ सेक्टर ,पटेल नगर ,रायसेन रोड ,भोपाल -462022



“राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार” हेतु 30 नव 2019 तक आवेदन आमंत्रित
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निर्धारित 10 क्षेत्रों में से किसी एक के लिए आवेदन किया जा सकेगा। आप अपने परिजनों ,परिचितों का आवेदन भी कर सकते हैं
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ग्राम पंचायत , समाज संगठन भी अपने क्षेत्र की प्रतिभाओं के लिए आवेदन करने हेतु अधिकृत –
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विभिन्न क्षेत्रों में अपने समाज, अपने जिले ,अपने संभाग ,अपने प्रदेश और अपने देश का नाम रौशन करने वाली समाज की ऐसी कोई प्रतिभा जिसे आप जानते-पहचानते हैं और जिन्हें समाज के नोबेल पुरस्कार हेतु निर्धारित 10 क्षेत्रों में से किसी भी एक क्षेत्र हेतु उपयुक्त समझते हैं तो कृपया निर्धारित प्रपत्र में आवेदन भरकर इस तरह प्रेषित करने का अनुरोध है कि हमें 30 नव 2019 को सायं 5 बजे तक अनिवार्यतः प्राप्त हो जाएँ। प्रतिभागी स्वयं भी आवेदन कर सकते हैैं।

निर्धारित प्रपत्र में भरा हुआ आवेदन ,ई मेल ,व्हाट्सएप्प या डाक से भी प्रेषित किया जा सकता है।

ई मेल या व्हाट्सएप्प पर आवेदन करने की स्थिति में सम्बंधित के दस्तावेजों ,प्रमाण पत्रों ,पुरस्कारों ,प्रशस्ति पत्रों आदि को स्केन कर आवेदन के साथ प्रेषित करना अनिवार्य होगा। आधे -अधूरे आवेदन पर विचार संभव नहीं हो सकेगा। डाक से आवेदन भेजने की स्थिति में समस्त दस्तावेजों प्रमाण पत्रों ,पुरस्कारों ,प्रशस्ति पत्रों आदि की फोटो कापी आवेदन के साथ संलग्न करना अनिवार्य है।

आवेदन हेतु डाक का पता –
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“”राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार” ,प्लाट न- 24 ,एफ़ सेक्टर ,पटेल नगर ,रुद्रांश अस्पताल के पीछे ,रायसेन रोड ,भोपाल -462022

ई मेल [email protected]

व्हाट्सएप्प न -9425392656

संलग्न –

1 आवेदन प्रपत्र

2 समाज के नोबेल पुरस्कार हेतु निर्धारित 10 क्षेत्रों की जानकारी

“राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार समिति भोपाल” समिति, भारत

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पुरस्कार के क्षेत्र
आपकी सुविधा के लिए जिन क्षेत्रों में पुरस्कार दिए जाने हैं उनका उल्लेख नीचे किया जा रहा है।

1. तीनों सेना, सीमा सुरक्षा बल ,अर्ध सैनिक बल ,पुलिस ,विभिन्न विभागों के सुरक्षा बल ,होम गॉर्ड आदि में सेवारत सदस्यों तथा लोकहित में जन सामान्य द्वारा किये गए अद्वितीय पराक्रम हेतु सम्मान,
2. कृषि उद्योग ,वृक्षारोपण , बीज संरक्षण ,लघु उद्योग ,बड़े उद्योग ,कृषि आधारित उद्योग ,कुटीर उद्योग आदि में सफलतापूर्वक किये गए रिकार्ड उत्पादन या लोकहित में किये गए नवाचार हेतु सम्मान ,
3. लोककला ,लोक संगीत ,लोक गायन ,लोक वादन ,लोक नृत्य ,लोक गीत ,लोक साहित्य ,लोक संस्कृति ,लोक बोली, लोक भाषा आदि के संरक्षण संवर्धन हेतु किये गए प्रशंसनीय प्रयासों के लिए सम्मान,
4. शिक्षा ,साहित्य ,संस्कृति और शोध पर प्रकाशित उत्कृष्ट साहित्य या शिक्षा ,साहित्य और संस्कृति के उन्नयन हेतु किये गए उल्लेखनीय प्रयासों तथा बालिका शिक्षा उन्नयन हेतु किये गए सार्थक प्रयासों के लिए सम्मान ,
5. चिकित्सा सेवा ,लोकहित में आयोजित किये जाने वाले निःशुल्क चिकित्सा शिविरआयोजन ,बेटी बचाओं अभियान हेतु किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान ,
6. सामाजिक उत्थान के लिए लोकहित में किये गए प्रयास जैसे सामूहिक विवाह, सामाजिक कार्य आदि तथा सामाजिक कुरीतियों जैसे -मृत्युभोज ,दहेज़ ,चुट्टी ,चिकट प्रथा ,अहीर प्रथा ,पगड़ी रस्म ,दैत्य बाबा पूजा,नशा बंदी ,जुआ बंदी ,बलि प्रथा आदि को हतोत्साहित करने हेतु की गई सार्थक पहल या किये गए सार्थक प्रयासों के लिए सम्मान ,
7. UPSC ,MPPSC आदि प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित होने वाले प्रतिभागियों के लिए सम्मान।
8. हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी परीक्षा,स्नातक ,स्नातकोत्तर परीक्षा खेल आदि में किये गए उत्कृष्ट प्रदर्शन व् उत्कृष्ट शैक्षिक उपलब्धियों के लिए सम्मान ,
9. सामाजिक समरसता ,न्याय ,आदर्श गाँव , आदर्श परिपाटी डालने के लिए सम्मान,
10 .शासकीय/अशासकीय सेवक द्वारा अपने विभाग में किये गए उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शन हेतु सम्मान।

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आवेदन प्रपत्र का प्रारुप

प्रति ,
“राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार” प्लॉट न 24 ,एफ सेक्टर , पटेल नगर ,रायसेन रोड ,भोपाल -462022
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1. पुरस्कार क्षेत्र का क्रमांक और नाम जिसके लिए आवेदन किया जा रहा –
2. आवेदक की जानकारी –
(अ) स्वयं का नाम –
(ब) माता का नाम-
(स) पिता का नाम-
(द) जन्म तिथि –
(इ) जन्म स्थान का नाम —

3. पत्र व्यवहार का पूरा पता ( आधार कार्ड की प्रति संलग्न करें )

4. मोबाइल न

ई मेल

5. आवेदित पुरस्कार क्षेत्र में कार्य का अनुभव (वर्षों में)

6. रचनात्मक योगदान का उल्लेख व उसके समर्थन में साक्ष्य और फोटो

7. पूर्व में प्राप्त सम्मान और पुरस्कार का विवरण साक्ष्य और फोटो सहित …

8. आपके कार्य से लाभान्वित लोगों की संख्या व लाभार्थियों के नाम ———–

9. समाज व देश को आपके कार्य से लाभ —————————-

10.समाज हित में अब तक किये गए आपके कार्यों की विस्तृत जानकारी – ———————

11. प्राप्त पुरस्कार राशि का आप क्या करना चाहते हैं-

12. पासपोर्ट आकार की फोटो

” राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार”समिति,भारत।


क्षत्रिय पवार समाज के सभी विवाह योग्य युवक युवतियों के लिए- ONLINE REGISTRATION :Register Here

मंडीदीप में निर्माणाधीन धर्मशाला के लिए आर्थिक सहयोग करने हेतु अनुरोध

मंडीदीप में निर्माणाधीन धर्मशाला के लिए आर्थिक सहयोग करने हेतु अनुरोध
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समाज के सहयोग से मंडीदीप में निर्मित हुआ 65 फीट ऊंचा श्री राम जानकी मंदिर
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भोपाल। मंदिर समिति द्वारा मंदिर के आसपास धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है जिसमें प्रतियोगी परीक्षा देने हेतु आने वाले समाज सदस्यों और समाज के श्रद्धालुओं के रुकने हेतु धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है।

समाज की शक्ति क्या होती है और समाज के सहयोग से कैसा सृजनात्मक काम होता है इसका जीता जागता उदाहरण है श्री राम जानकी मंदिर मंडीदीप।

“सुखवाड़ा” द्वारा जारी अपील पर समाज सदस्यों द्वारा प्रदत्त आर्थिक सहयोग से लगभग 2500 स्केयर फीट पर 65 फीट ऊंचा श्री राम जानकी मंदिर मंडीदीप में निर्मित किया गया है। बाद में जारी अपील पर समाज सदस्यों द्वारा प्रदत आर्थिक सहयोग से लंदन म्यूजियम में रखी गई राजा भोज वाग्देवी की प्रतिमा की तर्ज पर निर्मित राजा भोज और वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की गई है।

अब मंदिर समिति द्वारा मंदिर के आसपास धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है जिसमें प्रतियोगी परीक्षा देने हेतु आने वाले समाज सदस्यों और समाज के श्रद्धालुओं के रुकने हेतु धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है।

इस निर्माण कार्य के लिए आप सभी सुधिजनों से यथायोग्य सहायता करने का अनुरोध है ताकि यह कार्य भी आपके सहयोग से पूरा किया जा सके और इसका पुण्य लाभ भी आपको मिल सके।
आपकी सुविधा के लिए सहयोग राशि भेजने हेतु विस्तृत जानकारी निम्नानुसार है-

खाता धारी सदस्य का नाम-घनश्याम पवार
खाता क्रमांक- 10687135793
आईएफएससी कोड-
SBIN0006190
बैंक का नाम-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
शाखा का नाम-मंडीदीप
मोबाइल नंबर-9009408298,7974582207

आशा है ,आप अपना स्नेह सहयोग और विश्वास “सुखवाड़ा” के प्रति पूर्ववत बनाए रखेंगे।

सहयोग की अपेक्षा में-
आपका “सुखवाड़ा” ई- दैनिक और मासिक।

award pawar

आज दिनांक 26/ 05/ 2019 को जिला क्षत्रिय पवार समाज संगठन बैतूल के मंगल भवन में समाज संगठन के अध्यक्ष श्री बाबू लाल कालभोर अधिवक्ता की अध्यक्षता में युवा कार्यकारिणी के अध्यक्ष श्री अनिल खवसे एवं संगठन के सभी ऊर्जावान युवाओं, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं सदस्यों की उपस्थिति में सभी की सहमति से…..

बैतूल जिले के पवार समाज के कक्षा दसवीं एवं 12वीं के 75% एवं अधिक अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभावान छात्र छात्राओं को 30 जून 2019 को पवार समाज के मंगल भवन कालापाठा में सम्मानित किया जाएगा

जिसके लिए पवार समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं से अनुरोध है कि वे वर्ष 2018-19 मे 75% एवं अधिक अंक वाली अंकसूची 20 जून 2019 तक निचे गया फॉर्म भरकर ऑनलाइन जमा कर सकते है !!!


education pawar samaj

रु 15,000 पुरस्कार हेतु आवेदन आमंत्रित- अंतिम तिथि 30 मई 2019 ,आवेदन प्रारूप संलग्न
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स्व श्री मोहनलाल जी पवार (खरफुसे) की स्मृति में दी जाएगी 15,000 रु की पुरस्कार राशि
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प्रतियोगी परीक्षा के लिए पुस्तकें खरीदने 3 प्रतिभाशाली बच्चों को दी जाएगी 5000 -5000 की पुरस्कार राशि
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3 पुरस्कृत बच्चों को पुरस्कार राशि 7 जुलाई 2019 को पवार मंगल भवन, पांढुर्णा में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में दी जाएगी
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भोपाल। “राष्ट्रीय भर्तृहरि विक्रम भोज पुरस्कार” के अंतर्गत आदरणीय  स्व श्री मोहनलाल जी पवार (खरफुसे) गोनी बिछुआ की स्मृति में प्रारम्भ की गई 15,000 रु की पुरस्कार राशि  हेतु समाज के प्रतिभावान बच्चों से आवेदन आमंत्रित हैं जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। यह पुरस्कार राशि समाज के तीन प्रतिभाशाली बच्चों को दी जाएगी  जिस राशि से वे प्रतियोगी परीक्षा के लिए किताबें खरीद सकेंगे।

ज्ञात हो कि  स्व श्री मोहनलाल पवारजी भोपाल स्थित अपने घर में  समाज के बच्चों की पढाई के लिए आश्रय दिया करते थे जहाँ रहकर वे पढाई के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी किया करते थे। उनके घर और सानिध्य में रहकर समाज के कई बच्चे प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होकर विभिन्न विभागों में सम्मानजनक पदों पर सेवारत हैं।

उल्लेखनीय है कि स्व श्री मोहनलाल पवार मृत्युभोज जैसी कुरीति के पक्ष में नहीं थे। उनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मृत्युभोज नहीं दिया गया और उनके पुत्र – पुत्र वधु और पुत्री – दामाद द्वारा समाज के 3 प्रतिभाशाली गरीब बच्चों को प्रतिवर्ष पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया।

आवेदन आमंत्रित – अंतिम तिथि -30 मई 2019
-जाएग—————
आवेदन का प्रारुप
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1. नाम —–
2. पिता का नाम ——
3. शिक्षा ————
4. हजैस्कूल, हायर सेकेंडरी ,स्नातक, स्नातकोत्तर परीक्षा में प्रतिशत पूर्णांक व् प्राप्तांक सहित (साक्ष्य हेतु सर्टिफिकेट की प्रतिलिपि संलग्न की जाए )
5. स्थायस्नातकोत्त. पत्र व्यवहार का पता हाय आधार कार्ड /पहचान पत्र का न —————————-(प्रति लिपी संलग्न की जाये )
8. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी हेतु भरे हुए फॉर्म का क्रमांक और परीक्षा का नाम ( साक्ष्य हेतु पहचान पत्र , प्रवेश पत्र स्नातकोत्तलग्न की जाए )
9. माता -पिता की वार्षिक आय –
10. पासपोर्ट साइज़ का फोटो —
11 .प्रतिज्ञा पत्र (एफिडेविट )- प्राप्त पुरस्कार राशि से प्रतियोगी परीक्षा हेतु पुस्तकें खरीदने ,बेरोजगार होने का उल्लेख व् हस्ताक्षर। (खरीदी गई किताबों का बिल उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा)

भरा हुआ आवेदन पत्र 30 मई 2019 तक ई  मेल [email protected]     व्हाट्सएप्प न  9425392656 या डाक का पता – “राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार” प्लाट न 24 ,एफ सेक्टर ,पटेल नगर ,रुद्रांश अस्पताल के पीछे ,रायसेन रोड ,भोपाल -पिन 462022  मध्यप्रदेश    पर अनिवार्यतः प्राप्त हो जाना चाहिए।

“राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार” समिति, भोपाल।

sukhwada january 2019-compressed

स्वजनों ,
“समाज के नोबेल पुरस्कार” अब “राष्ट्रीय भर्तृहरि-विक्रम-भोज पुरस्कार” पर केंद्रित “सुखवाड़ा” ई – मासिक का अप्रैल 2019 अंक की फाइल संलग्न है।
सादर।
आपका “सुखवाड़ा ”

सुखवाड़ा April.2019

 

क्षत्रिय पवार समाज के सभी विवाह योग्य युवक युवतियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी :Register Here

“समाज के नोबेल पुरस्कार” अब “राष्ट्रीय भर्तृहरि- विक्रम- भोज पुरस्कार” -क्या, कब ,कैसे, क्यों ,किसे, कौन ?
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1 -“सुखवाड़ा” निःशुल्क ई मासिक भोपाल की विनम्र पहल और शासकीय सेवक समूह व्हाट्सएप्प भारत का सहर्ष समर्थन ।
2 -विभिन्न स्तरों पर समाज की प्रतिभाओं को चिह्नित कर उन्हें समाज से परिचित कराने और मुख्य धारा में जोड़ने हेतु विनम्र प्रयास।
3 – समाज की प्रतिभाओं को अपेक्षित सम्मान दिलाने और समाज के अन्य सदस्यों को प्रेरित प्रोत्साहित करने हेतु अभिनव अभियान ।
4 -समाज के सहयोग से एक सम्मानजनक फण्ड संगृहीत कर प्रति वर्ष विभिन्न क्षेत्र की प्रतिभाओं का सम्मान करना।
5 -क्षेत्र ,बोली- भाषा और भौगोलिक सीमा से परे समाज की प्रतिभाओं द्वारा समाज और देश के उन्नयन-उत्थान हेतु किए गए सार्थक प्रयासों के लिए पुरस्कृत करना।
6 – चिह्नित 10 क्षेत्रों में किये गए बेहतर प्रदर्शन के लिए बिना भेदभाव के योग्य व पात्र आवेदक को ही पुरस्कृत करना ।
7 -“पवार मैट्रिमोनियल” वेबसाइट (श्री महेंद्र डिगरसे,श्री चन्दन पवार) द्वारा इसके पुरस्कार आदि के लिए ऑन लाइन आवेदन की पूरी व्यवस्था संभालना ।
8 -समाज के विभिन्न फेसबुक समूह के एडमिन (राजेश बारंगे ,जीवन बुवाड़े ,नीरज चोपड़े ,नीरज पवार,दीपक भगत ,प्रवीण भादे,आदि ) द्वारा इस पुरस्कार से सम्बंधित समस्त सूचना, जानकारी ,कार्यक्रम आयोजन और पुरस्कार वितरण से लेकर समाज सदस्यों के सहयोग तक को साझा करने में सहायता करना।
9 – चिह्नित 10 क्षेत्रों के अलावा भी कोई समाज सदस्य अपने अनुदान से समाज सेवा के क्षेत्र में पुरस्कार देना चाहें तो उसे ससम्मान स्वीकारना और स्वीकृति देना।
10- “समाज के नोबेल पुरस्कार” समाज का, समाज द्वारा और समाज के लिए पुरस्कार के माध्यम से समाज को एकजुट करना व परस्पर संबंधों को प्रगाढ़ करना ।
11 -प्रारम्भ में प्रत्येक क्षेत्र के लिए पुरस्कार की राशि रु 5000 निर्धारित करना ।
12-पुरस्कार की निर्धारित राशि अपने किसी परिजन या पूर्वजों के सम्मान / स्मृति में समाज सदस्य /प्रायोजक द्वारा दी जाना ।
13 – पुरस्कार राशि निर्धारित क्षेत्र या उसके सब- क्षेत्र के लिए देय मान्य करना ।
14 -पुरस्कार हेतु ऑन लाइन आवेदन आमंत्रित किया जाना। इसे “पवार मैट्रिमोनियल” वेबसाइट पर जाकर पात्र आवेदक द्वारा सीधे आवेदन करना । विभिन्न समूह और व्हाट्सएप्प पर भी इसे साझा करना।
15 -प्राप्त आवेदन पर पांच सदस्यीय पुरस्कार चयन समिति (पंच परमेश्वर ) द्वारा निर्णय लेना और समिति के निर्णय को अंतिम मानना । इसे किसी भी परिस्थिति में या कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
16 -पुरस्कार प्रदान करने हेतु भव्य व् गरिमामय आयोजन आयोजित करना जिसमें सभी पुरस्कृत समाज सदस्य और क्षेत्र विशेष के लिए अपने परिजन या पूर्वजों के सम्मान में पुरस्कार राशि देने वाले परिवार की उपस्थिति सुनिश्चित करना ।
17 -पुरस्कार किसी कुलपति या राष्ट्रिय स्तर के शिक्षा, साहित्य, संस्कृति क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले किसी विद्वान् के हाथों तथा पुरस्कार राशि उपलब्ध कराने वाले सदस्य के द्वारा दिया जाना ।
18 -वर्ष में एक बार आयोजित इस आयोजन का भोजन, आवास,पुरस्कार राशि ,व्यवस्था से सम्बंधित समस्त व्यय समाज द्वारा वहन किया जाना ।
19 -आयोजन हेतु राशि संग्रहण के लिए एक जन अभियान चलाया जाना। । जरुरत पड़ने पर विज्ञापन ,प्रायोजक से सहयोग लिया जाना ।
20 -पुरस्कार चयन की प्रक्रिया में भाई भतीजावाद ,भेदभाव ,चापलूसी ,बाहरी दबाव,अनावश्यक हस्तक्षेप और स्वार्थ से इसे अछूता रखने के हरसंभव प्रयास करना।
21 -“सुखवाड़ा” सतपुड़ा संस्कृति संस्थान, भोपाल को उसके किसी भी योगदान के लिए पुरस्कृत नहीं किया जाना ।
22 – पुरस्कृत सदस्यों के अपने- अपने क्षेत्र विशेष में किये गए उल्लेखनीय योगदान पर केंद्रित “सुखवाड़ा” का अंक प्रकाशित करना जिससे अन्य समाज सदस्यों को प्रोत्साहन व प्रेरणा मिल सके।
23 -पुरस्कार हेतु प्राप्त आवेदन को क्षेत्र विशेष हेतु चयनित 5 विशेषज्ञों को आवेदक के बिना नाम के ई मेल पर उपलब्ध कराना । .विशेषज्ञ उन प्राप्त आवेदन पर विचार कर व आवेदक द्वारा समाज तथा देश के उन्नयन या उत्थान हेतु दिए गए विशेष योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें रैंकिंग प्रदान कर अपनी टिप्पणी के साथ समाज के नोबेल पुरस्कार आयोजक समिति को वापस करेंगे। समिति सभी विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त रैंकिंग और टिप्पणी के आधार पर आवेदकों में सबसे अधिक स्कोर वाले आवेदक को पुरस्कार हेतु चयनित घोषित करेगी। इस पूरी प्रक्रिया में गोपनीयता विश्वसनीयता तथा पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
24 -“समाज के नोबेल पुरस्कार” के पुरस्कार ,आयोजन ,निमंत्रण,प्रकाशन,भोजन व आवास व्यवस्था हेतु पृथक-पृथक प्रायोजक तलाश करना ताकि सम्मानजनक राशि संग्रहित हो सके व् आयोजन गरिमापूर्ण हो सके। इसके लिए समाज संगठनों से सहयोग की अपील करना व् इसके प्रचार प्रसार हेतु बैठकों और आयोजनों में इसका विशेष और अनिवार्य रूप से उल्लेख किया जाना । जो संगठन स्वेच्छा से रचनात्मक सहयोग हेतु आगे आएं उनका स्वागत किया जाना।
25 -क्षेत्र विशेष हेतु निर्धारित पुरस्कार के लिए स्वयं आवेदक के अलावा आवेदक के लिए उनके शुभचिंतक ,परिचित ,परिजन द्वारा भी सम्बंधित की सहमति से आवेदन कर सकना ।
26 -पुरस्कार हेतु आवेदन निर्धारित दिनाँक 15 मई 2019 तक आवेदन करना अनिवार्य करना । निर्धारित दिनाँक के बाद प्राप्त आवेदन पर विचार नहीं किया जाना । पुरस्कार हेतु उम्र का कोई बंधन न होना।
27 -हमारे पूर्वज राजाभर्तृहरि राजा विक्रमादित्य,राजा भोज आदि की नव रत्न परंपरा और प्रतिभाओं के सम्मान की परंपरा को जीवित रखना और आगे बढ़ाना और समाज स्तर पर एक सामाजिक अभियान को स्वीकृति दिलाने का विनम्र प्रयास करना ।
28 -समाज के नोबेल पुरस्कार के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए विभिन्न समितियों का गठन करना जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी क्षेत्र को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना।
29 -समय- समय पर समाज उत्थान हेतु किसी एक विषय पर आम सहमति बनाने का प्रयास करना और उसे समाज में लागू करने हेतु पहल करना। समाज के गणमान्य सदस्यों से समय- समय पर विचार विमर्श करना तथा उनके अनुभवों और सुझाओं पर अमल करना।
30 – समाज उत्थान से सम्बंधित विषयों पर परिचर्चा का आयोजन करना और उसपर राइटअप तैयार कर उसे समाज में साझा करना।

31.”राष्ट्रिय भृर्तहरि विक्रम भोज पुरस्कार” 7 जुलाई 2019 समाज के मंगल भवन. पांढुर्णा में आयोजित. करनाl

‘सुखवाड़ा ‘ निःशुल्क ई मासिक ,सतपुड़ा संस्कृति संस्थान, भोपाल की विनम्र पहल और पवार शासकीय सेवक समूह व्हाट्सएप्प भारत का सहर्ष समर्थन।

Click here to Download Sukhwada Apr -2019

holi-

रंगोत्सव 2019

🙏 होली मिलन समारोह🙏

दिन- रविवार

31/3/2019

समय- 11 – 4 बजे तक

स्थान- सामुदायिक भवन (6 वी बटालियन परिसर), रांझी, जबलपुर
परिवार के साथ

नास्ता एवं चाय

बच्चों के लिए

नुडल्स

दोपहर भोजन

सांस्कृतिक कार्यक्रम
डीजे आर्केस्ट्रा,संगीत, डांस होली
एवं
अन्य आप सभी के साथ मस्ती धमाल
आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित
आयोजन की सूचना से एक दूसरे को अवगत कराएं एवं आमंत्रित करने की अपेक्षा।
🙏 सचिव🙏

vibha-compressed

81 ,000 रुपये दिए गए “समाज के नोबेल पुरस्कार” हेतु विभांशु और मेघा द्वारा –
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अपने विवाह को स्मरणीय बनाने के लिए की गई अभूतपूर्व पहल वर- वधू द्वारा –
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इस राशि से मातृ -पितृ विहीन,अनाथ और मेधावी गरीब बच्चों को दी जाएगी पढ़ने हेतु सहायता राशि –
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भोपाल। अपने विवाह को स्मरणीय बनाने के लिए वर-वधू विभांशु और मेघा द्वारा अपनी परिणय तिथि 9 मार्च पर “समाज के नोबेल पुरस्कार ” हेतु 81,000 (इक्यासी हजार रूपये) की राशि प्रदान कर एक अभूतपूर्व पहल की गई है। इस राशि का उपयोग मातृ -पितृ विहीन,अनाथ और मेधावी गरीब बच्चों को पढ़ने हेतु सहायता प्रदान करने के लिए किया जायेगा।
शगुन के तौर पर इस राशि से समाज की मातृ -पितृ विहीन मेधावी दो बालिकाओं को सीधे वर-वधू द्वारा सहायता राशि प्रदान की जा रही है-
1. कु रवीना बुवाड़े पिता श्री बंशीलाल बुवाड़े ग्राम परमंडल,तह.मुलताई ,जिला बैतूल। कु रवीना पितृ विहीन है और माँ कृषि से गुजर बसर करती है। कु रवीना कक्षा 10वीं में 83. 5 % और कक्षा 12 वीं में 89 % अंक गणित विषय के साथ अर्जित कर उत्तीर्ण हुई है। सिर पर पिता का साया न होते हुए भी कु रवीना में पढाई के प्रति जज्बा और जूनून प्रशंसनीय है। प्राप्त मेधावी छात्रवृत्ति से ही वह इंदौर में रहकर अपनी पढाई कर रही है। कु रवीना को सहायतार्थ राशि रुपये 5000/-उसके खाते में जमा की जा रही है।
2. कु हिमांशी डोंगरदिये पिता श्री कृष्णा डोंगरदिये ग्राम मयावाड़ी तह मुलताई ,जिला बैतूल। आठ वर्षीया कु हिमांशी माता विहीन है। हिमांशी अपनी मौसी नीलिमा के साथ मुलताई में रहती है और वह अंग्रेजी पब्लिक स्कूल की कक्षा तीसरी में पढ़ती है। उसकी पढाई का व्यय उसके नाना-नानी उठा रहे हैं। छोटी -सी वय में माँ का साया सर से उठने पर भी हिमांशी हिम्मत नहीं हारी है। हिमांशी के कृषक पिता ग्राम मयावाड़ी में रहते हैं। कु हिमांशी को सहायतार्थ राशि रुपये 1000 उसे प्रदान करने की जा रही है।

शेष राशि रुपये 75 ,000 (पचहत्तर हजार) ‘समाज के नोबेल पुरस्कार” के खाते में जमा की जा रही है।

“सुखवाड़ा” ई -दैनिक और मासिक वर-वधू के इस निर्णय की प्रशंसा करते हुए उनके स्वस्थ सुखी संपन्न वैवाहिक जीवन की कामना करता है।

“सुखवाड़ा” ई -दैनिक और मासिक

babulal final

क्षत्रिय पवार समाज बैतुल संगठन (10 मार्च 2019) : आदरणीय श्री बाबूलाल कालभोर जी को क्षत्रिय पवार समाज बैतुल संगठन के जिलाध्यक्ष, उपाध्यक्ष सुरेश पठारे जी एवं युवा अध्यक्ष अनिल खवसे जी को सर्वसम्मति से चुने जाने पर बहुत बहुत बधाई शुभकामनाये. #जय राजा भोज

जिला क्षत्रिय पवार समाज संगठन बैतूल की वार्षिक आमसभा १० मार्च २०१९ को कालापाठा पवार समाज के मंगल भवन में सम्पन्न हुई जिसमें सभी की सर्व सहमति से अधिवक्ता श्री बाबूलाल जी कालभोर को अध्यक्ष श्री सुरेश पठाड़े को उपाध्यक्ष श्री अनिल खवसे को युवा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया सभी पदाधिकारियों को बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं सभी उपस्थित समाजिक बंधुओं ने एकता का परिचय देते हुए रचनात्मक सकारात्मक सोच के साथ मिलकर समाज के विकास का तन मन धन से सहयोग करने का संकल्प लिया जिसमें पूर्व अध्यक्ष श्री किसनलाल बुआडे और श्री राजूगोहिते ने सभी का पुष्पहार से स्वागत करते हुए अभिनंदन किया। चुनाव प्रक्रिया की वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अवध हजारे जी ने सम्पन्न कराई आम सभा का संचालन शंकर पवार पत्रकार ने किया ।
।। जय हिन्द जय भारत जय हो राजा भोज ।।
।। पवांर एकता जिंदाबाद ।।

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बैतूल – पवांर मंगल भवन में समाज के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रकिया को स्थगित करते हुए सर्वसम्मति से माननीय श्री बाबूलाल जी कालभोर को पवांर समाज जिला बैतूल का अध्यक्ष और सुरेश पठाडे को उपाध्यक्ष चुन लिया गया है। जय हो राजा भोज

क्षत्रिय पवांर समाज के पूर्वज महापराक्रमी राजा भोज की प्रतिमा अभिनन्दन सरोवर के पास दोपहर 3:30 बजे स्थापित की गई है जिसका ” अनावरण ” समयानुसार बाद में तय किया जाएगा। जिसमें समाज के सभी लोग उपस्थित थे।

क्षत्रिय पवार समाज का जिलाअध्यक्ष बनने पर ब्लाक घोडाडोंगरी की ओर से ढेरसारी शुभकामनाए

बैतूल जिले के पंवारों का इतिहास

बैतूल जिले के पंवारों का इतिहास

बैतूल जिले में भाट के मतानुसार पंवार समाज के पूर्वज लगभग विक्रय संवत 1141 में धारा नगरी धार से बैतूल आए थे। जिले में लगभग पंवारों के 200 गांव है। पंवारों की संख्या लाखों में है। बैतूल जिले के पंवार अग्निवंशी है, इनका गोत्र वशिष्ठ है, प्रशाखा प्रमर या प्रमार है। ये पूर्ण रूप से परमार (पंवार) राजपूत क्षत्रिय है। वेद में इन जातियों को राजन्य और मनोस्मृति में बाहुज, क्षत्रिय, राजपुत्र तथा राजपूत और ठाकुरों के नाम से संबोधित किया है। सभी लोग अपने भाट से अपने वास्तविक इतिहास की जानकारी अवश्य लें ताकि आने वाली पीढ़ी को भविष्य में यह पता रहे कि वे कौन से पंवार है उनका गोत्र क्या है? हमारे वंश के महापुरूष कौन है। जब मालवा धार से पंवार मुसलमानों से युद्ध करते हुए नर्मदा तट तक होशंगाबाद पहुंचे वहां उस समय कि परिस्थितियों के कारण सभी लोगों ने अपने जनेऊ उतारकार नर्मदा में डाल दिए थे। भाट लोगों के अनुसार ये सभी परमार शाकाहारी थे, मांस मदिरे का सेवन नहीं करते थे।

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वेदिक सोलह संस्कारों को अपनाते थे किंतु समय और विषम परिस्थितियों के कारण सेना के इस समूह की टुकडिय़ां क्रमश: बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, जबलपुर, रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, भिलाई, दुर्ग तथा महाराष्ट्र के नागपुर, भंडारा गोंदिया, तुमसर, वर्धा, यवतमाल, अमरावती, बुलढाना आदि जिलों में जाकर बस गए। बैतूल और छिंदवाड़ा के पंवारों को उस समय यहां रहने वाली जातियों के लोगों ने अपनी बोली से भुईहर कहा जो अपभ्रंस होकर भोयर कहलाये। उस समय की भोगौलिक परिस्थिति तथा आर्थिक मजबूरियों के कारण ये समस्त पंवार अपने परिवार का पालन पोषण करने के चक्कर में अपने मूल रीति रिवाज और मूल संस्कार भूलते चले गए। सभी ओर क्षेत्रीय भाषा का प्रभाव बढ़ गया इसलिए इन सभी क्षेत्रों में वहां की स्थानीय भाषा का अंश पंवारों की भाषा में देखने आता है किंतु आज भी पंवार समाज की मातृभाषा याने बोली में मालवी भाषा और राजस्थानी भाषा के अधिकांश शब्द मिलते है। सैकड़ों वर्षो के अंतराल के कारण लोगों ने जो लोकल टाइटल (पहचान) बना ली थी वो कालांतर में गोत्र के रूप में स्थापित हो गई। आज प्रचलित सरनेम को ही लोग अपना गोत्र मानते है जबकि गोत्र का अभिप्राय उत्पत्ति से है और सभी वर्ण के लोगों की उपत्ति किसी न किसी ऋषि के माध्यम से ही हुई है। हमें गर्व है कि हमारी उत्पत्ति अग्निकुंड से हुई है। और हमारे उत्पत्ति कर्ता ऋषियों में श्रेष्ठ महर्षि वशिष्ठ है, इसलिए हमारा गोत्र वशिष्ठ है।

बैतूल जिले के पंवार मूलत: कृषक है। अब युवा पीढ़ी के लोग उद्योग धंधे में तथा नौकरियों में आ रहे है। शिक्षा के अभाव के कारण यहां के पंवार समाज के अधिकांश लोग आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए है। इस समाज में पहले महिलाएं शिक्षित नहीं थी किंतु अब महिला तथा पुरूष दोनों ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर उच्च पदों पर आसीन है। समाज के उच्च शिक्षित लोग सभी क्षेत्र में बड़े-बड़े महत्वपूर्ण पदों पर और विदेशों में भी समाज का गौरव बढ़ा रहे है। कृषक भी आधुनिक विकसित संसाधनों से उन्नत कृषि व्यवसाय में लगे हुए है।

बैतूल जिले के पंवारों के गांव की सूची

बैतूल क्षेत्र के गांव

1. बैतूल नगरीय क्षेत्र 2. बैतूलबाजार नगरीय क्षेत्र, 3. बडोरा 4. हमलापुर, 5. सोनाघाटी, 6. दनोरा, 7. भडूस, 8. परसोड़ा 9. ढोंडबाड़ा, डहरगांव, बाबर्ई, डोल, महदगांव, ऊंचागोहान, रातामाटी, खेड़ी सांवलीगढ़, सेलगांव, रोंढा, करजगांव, नयेगांव, सावंगा, कराड़ी, भोगीतेढ़ा, भवानीतेढ़ा, लोहारिया, सोहागपुर, बघोली, सापना, मलकापुर, बाजपुर, बुंडाला, खंडारा, बोड़ीबघवाड़, ठेसका, राठीपुर, खेड़ी भैंसदेही, शाहपुर, भौंरा, घोड़ाडोंगरी, पाथाखेड़ा, शोभापुर, सारणी क्षेत्र, भारत भारती, जामठी, बघडोना, झगडिय़ा, कड़ाई, मंडई, गजपुर, बाजपुर, पतरापुर, सांपना, खेड़लाकिला, चिखल्या (रोंढा), कोरट, मौड़ी, कनाला, बयावाड़ी

मुलताई क्षेत्र के गांव – मुलताई नगरीय क्षेत्र, थावर्या, कामथ, चंदोराखुर्द, करपा, परसठानी, देवरी, हरनया, मेलावाड़ी, बूकाखेड़ी, चौथिया, हरदौली, शेरगढ़, मालेगांव, कोल्हया, हथनापुर, सावंगा, डउआ, घाट बिरोली, बरखेड़, पिपरिया, डोब, सेमरिया, पांडरी सिलादेही, जाम, खेड़ी देवनाला, चिचंडा, निंबोरी चिल्हाटी, कुंडई, खंबारा, मल्हारा, कोंढर, जूनापानी, सेमझर, डहरगांव, चैनपुर, तुमड़ी, डोल, मल्हाराखापा, पिपरपानी, नीमदाना, व्हायानिडोरनी, छोटी अमरावती, छिंदखेड़ा, गाडरा, सोमगढ़, झिलपा, नंदबोही, दुनावा, दुनाई, गांगई, मूसाखापा, खल्ला, सोनेगांव, सिपावा, भैंसादंड, मलोलखापा, बालखापा, घाट पिपरिया, सरई, काठी, हरदौली, लालढाना, खामढाना, लीलाझर, बिसखान, मयावाड़ी, थारी, मुंडापार, चिखलीकला, कपासिया, लाखापुर, हिवरा, पारबिरोली, खैरवानी, सावंगी, लेंदागोंदी, मोरखा, तरूणाबुजुर्ग, डुडरिया, पिडरई, जौलखेड़ा, मोही, हेटीखापा, परमंडल, नगरकोट, दिवट्या, बुंडाला, हेटी, खतेड़ाकला, हरनाखेड़ी, अर्रा, बरई, जामुनझिरी, टेमझिरा, बाड़ेगांव, केकड्या, ऐनस, निर्गुण, सेमझिरा, पोहर, सांईखेड़ा, बोथया, ब्राम्हणवाड़ा, खेड़लीबाजार, बोरगांव, बाबरबोह, महतपुर, माथनी, छिंदी, खड़कवार, केहलपुर, तरोड़ा, सोड्ंया, रिधोरा, सोनोरी, सेमरया, जूनावानी, चिचंडा, हुमनपेट, बानूर, खेड़ी बुजुर्ग, उभारिया, खापा, नयेगांव, ससुंद्रा, पंखा, अंधारिया,

आमला नगरीय क्षेत्र – जंबाड़ा, बोडख़ी, नरेरा, छिपन्या, पिपरिया, महोली, उमरिया, सोनेगांव, बोरदेही, चिचोली, भैंसदेही, गुबरैल, डोलढाना आदि।

बैतूल जिले के वर्तमान में पंवारों के भिन्न-भिन्न सरनेम, उपनाम जिसे आज ये लोग गोत्र कहते है।

परिहार या पराड़कर, पठाड़े, बारंगे, बारंगा, बुआड़े, देशमुख, खपरिए, पिंजारे, गिरहारे, चौधरी, चिकाने, माटे, ढोंडी, गाडरी, कसारे, कसाई, कसलिकर, सरोदे, ढोले, ढोल्या, बिरगड़े, उकड़ले, रोलक्या, किरणकार, किनकर, किरंजकार, घाघरे, रबड़े, रबड्या, भोभाट, दुखी, बारबुहारे, मुनी, बरखेड्या, बागवान, देवासे, देवास्या, फरकाड्या, फरकाड़े, नाडि़तोड़, भादे, भाद्या, कड़वे, कड़वा, रमधम, राऊत, रावत, करदात्या, करदाते, हजारे, हजारी, गाड़क्या, गाकरे, खरफुस्या, खौसी, खवसे, कौशिक, पाठेकर, पाठा, मानमोड्या, मानमोड़े, हिंगवे, हिंगवा, डालू, ढालू, डहारे, डोंगरदिए, डोंगरे, डिगरसे, ओमकार, उकार, टोपल्या, टोपले, गोंदर्या, धोट्या, धोटे, ठावरी, ठूसी, लबाड़, ढूंढाड्या, ढोबारे, गोर्या, गोरे, काटोले, काटवाले, आगरे, डोबले, कोलया, हरने, ढंडारे, ढबरे, तागड़ी, सेंड्या, खसखुसे, गढढे, वाद्यमारे, सबाई।

सिवनी, बालाघाट, गोंदिया, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ में प्रचलित सरनेम – अम्बूल्या, आमूले, कटरे, कटरा, कोलहया, गौतम, चौहान, चौधरी, चैतवार, ठाकुर, टेम्भरे, टेम्भरया, डाला, तुरूस, तुरकर, पटले, पटलया, परिहार, पारधी, कुंड, फरीद, बघेला, बिसन, बिसेन, बोपच्या, बोपचे, भगत, भैरव, भैरम, भोयर, ऐड़ा, रंजाहार, रंजहास, रंदीपा, रहमत, राणा, राना, राउत, राहंगडाले, रिमहाईस, शरणागत, सहारत, सहारे, सोनवान्या, सोनवाने, हनवत, हिरणखेड्या, छिरसागर।

पंवारों का मूल गौत्र तो वशिष्ठ ही है ऊपर दिए गए सभी सरनेम या उपनाम है।

उपरोक्त जानकारी प्रकाशन दिनांक तक प्राप्त ग्रामों के नाम तथा सरनेम इस लेख में दिए गए है।

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