प्रसंगवश -कु शिवानी का शौर्य-
पवार जंगल में उगे पेड़ की तरह पलते हैं-
कृष्ण के घर सुदामा का जाना नहीं,अपितु शबरी के घर राम का जाना लोक जीवन में मायने रखता हैं। ऐसा ही कुछ तब घटित हुआ जब जिला क्षत्रिय पवार समाज संगठन छिंदवाड़ा के पदाधिकारी गण, कुछ गण मान्य समाज सदस्यों के साथ शिवानी के घर उसे बधाई देने और सम्बल प्रदान करने पहुँचें। उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा जिले के छोटे से गांव बीचकवाड़ा में रहने वाली कु शिवानी पवार ने 12वीं के कला संकाय की मेरिट सूची में मध्यप्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है। उसकी इस उपलब्धि के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा भी कु शिवानी पवार को सम्मानित किया जा चूका है। इस अवसर पर कु शिवानी पवार पिता श्री दिनेश पवार* के घर पहुंचकर माननीय जिला अध्यक्ष श्नी एन,आर.डोंगरे,जिला सचिव महेश डोंगरे,राजा भोज प्रतिमा अनाव़रन के जिला अध्यक्ष श्री हेमराज पवार ,युवा जिला अधयक्ष देवीलाल जी पाठे,रामचन्द्र पवार,सुताराम शेरके सतीश चन्द्र पवार,उमेश माटे,रामदास पवार सारोठ,दीपक गाडरे पालाखेड ,मधु पवार,गजानद पवार मंगल पवार,मदन पवार,रामकृष्ना पवार रामप्रसाद पवार ,गुरूप्रसाद बोबडे ,हरिप्रसादजी बोबड़े,पन्नालालजी डोंगरे,दिनेश जी पाठे ,बनवारी जी पवार आदि द्वारा भव्य स्वागत किया गया और उसकी हर संभव सहायता का आश्वाशन दिया गया।
उल्लेखनीय है कि पवार बगीचे में नहीं जंगल में उगे पेड़ की तरह पलते बढ़ते हैं। जंगल में पेड़ स्वयं संघर्ष करके पलता -बढ़ता है। बगीचे में पौधे रोपे जाते हैं। उन्हें खाद पानी दिया जाता है। माली उनकी देखरेख करता है। परन्तु पवारों के भाग्य में न बगीचा होता है और न माली। जैसे किसी जंगल में पेड़ अपने आप उगते और पलते बढ़ते हैं वैसे अधिकांश पवार संघर्ष में ही जीते और पलते बढ़ते हैं। वे बगीचे और माली के लिए तरसने के स्थान पर जंगल में संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं। जंगल में पौधे स्वयं अपना सृजन करते हैं स्वयं अपना निर्माण करते हैं। कु शिवानी भी इसी तरह जंगल में उगे पेड़ का प्रतिनिधित्व करती है और बिना माली के पल्ल्वित और पुष्पित होने का प्रतिनिधित्व करती है। उसकी संघर्षशीलता और उसके जोश जूनून और जज्बे को नमन।
चित्र – सौजन्य :श्री हेमराज पवार पाला चौरई
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-सुखवाड़ा ,सतपुड़ा संस्कृति संस्थान ,भोपाल